Ad

animal breeding

पशु प्रजनन की आधुनिक तकनीक (Modern Animal Breeding Technology in Hindi)

पशु प्रजनन की आधुनिक तकनीक (Modern Animal Breeding Technology in Hindi)

2019 में जारी की गई बीसवीं पशु जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत में इस समय 535 मिलियन (53 करोड़) पशुधन है, जिनमें सर्वाधिक संख्या मवेशियों की है, जोकि 2012 की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक बढ़ी है। आज भी भारत के अधिकतम किसान खेती के साथ पशुधन पालन भी करते है। इतनी अधिक संख्या में उपलब्ध पशुधन से बेहतर उत्पाद प्राप्त करने के लिए, पिछले कुछ समय से पशु वैज्ञानिकों के द्वारा कई अनुसंधान कार्य किए जा रहे है, इन्हीं नए रिसर्च में पशु प्रजनन (pashu prajanan or animal breeding) पर भी काफ़ी ध्यान दिया गया है।

क्या है पशु प्रजनन (Animal Breeding) ?

इसे एक उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है, जैसे कि यदि एक भैंस एक दिन में 10 लीटर दूध देती है, अब यदि पशु विज्ञान (animal science) की मदद से उसकी अनुवांशिकता (Hereditary) में कुछ ऐसे परिवर्तन किए जाए, जिससे कि उस पशु से हमारी आवश्यकता अनुसार उन्नत उत्पाद तैयार करवाने के साथ ही दूध का उत्पादन भी बढ़ जाए। इस विधि अलग-अलग जीन वाले पशुओं के अनुमानित प्रजनन मूल्य को ध्यान में रखते हुए आपस में ही एक ही नस्ल के पशुओं या फिर अलग-अलग नस्लों के पशुओं में प्रजनन प्रक्रिया करवाई जाती है, इससे प्राप्त होने वाला उत्पाद पहली दोनों नस्लों की तुलना में श्रेष्ठ मिलता है। यह नई नस्ल अधिक उत्पादन प्रदान करने के अलावा कई बीमारियों और दूसरी प्रतिरोधक क्षमताओं में भी श्रेष्ठ प्राप्त होती है।
ये भी पढ़ें : मत्स्य पालन की पूरी जानकारी (Fish Farming information in Hindi)

पशु प्रजनन की आधुनिक तकनीक :

वर्तमान में विश्व स्तर पर कई प्रकार की प्रजनन विधियों को अपनाया गया है :
  • विशुद्ध प्रजनित तकनीक (Purebred Breeding) :

इस विधि में एक ही नस्ल के दो अलग-अलग पशुओं का प्रजनन करवाया जाता है। इस प्रजनन विधि के दौरान ध्यान रखा जाता है कि इस्तेमाल में आने वाली एक ही नस्ल के दो अलग-अलग पशु जीन की गुणवत्ता स्तर पर सर्वश्रेष्ठ होते है। इन से प्राप्त होने वाली नई नस्लें बहुत ही स्थाई होती है और उसके नई नस्ल के द्वारा हासिल किए गए यह गुण अगली पीढ़ी तक भी पहुंच सकते हैं।

इस विधि को अंतः प्रजनन तकनीक के नाम से भी जाना जाता है।

शरीर की बाहरी दिखावट, आकार तथा रंग रूप में एक समान दिखने वाले दो नर एवं मादा पशुओं की जनन की प्रक्रिया के द्वारा द्वारा वैसे ही दिखने वाली नई नस्ल तैयार की जाती है। इस तकनीक का सर्वश्रेष्ठ फायदा यह होता है कि इसमें अशुद्ध हानिकारक लक्षणों के लिए जिम्मेदार जीन से छुटकारा मिलने के साथ ही शुद्ध और अच्छी गुणवत्ता की जीन का संचय होता है।

हालांकि अंतः प्रजनन तकनीक के जरिए से कुछ नुकसान भी हो सकते है। लगातार अंत: प्रजनन विधि के पश्चात पर्याप्त होने वाली संतति पहले की तुलना में कमजोर होने लगती है और उन दोनों पशुओं की जनन एवं उत्पत्ति क्षमता में भी कमी आने लगती है।

  • बैकयार्ड प्रजनित तकनीक (Backyard Breeding) :

अमेरिका और दूसरे विकसित देशों में इस्तेमाल में आने वाली यह तकनीक मुख्यतः पशुओं से प्राप्त होने वाले उत्पादन पर फोकस करती है और अच्छी सेहत वाली नई नस्ल तैयार करने के लिए एनिमल साइंस का इस्तेमाल किया जाता है।

इस तरह की ब्रीडिंग तकनीक को बिना डॉक्टर की मदद से किया जाता है और केवल मुनाफा कमाने के लिए पशुओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जाता है।

वर्तमान में कुत्ते और दूसरे पालतू जानवरों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।

  • बाह्य प्रजनन तकनीक :

अलग-अलग नस्ल के दो पशुओं के मध्य प्रजनन की क्रिया को बाह्य प्रजनन तकनीक के द्वारा संपन्न किया जाता है। इस प्रजनन प्रक्रिया के दौरान कुछ विधियों का इस्तेमाल किया जाता है :

    • बाह्यः संकरण विधि :

इस विधि के तहत किसी भी नस्ल की चार से छह पीढ़ी के बाद की नस्ल के मध्य संक्रमण की प्रक्रिया की जाती है।

इस विधि का सबसे ज्यादा फायदा यह होता है कि इसकी मदद से प्रजनन में आने वाले अवसादन को पूरी तरह से दूर किया जा सकता है और अब लगातार प्रजनन के बाद प्राप्त होने वाले संतति भी पहले किके जैसे ही है श्रेष्ठ गुणों के साथ मिल पाती है।

    • शंकर विधि :

दो अलग-अलग नस्लों के मध्य संगम करवाने की प्रक्रिया को संकरण कहते हैं और प्राप्त हुई नई संतति को शंकर संतति कहा जाता है। जैसे बेगूस गाय ब्राह्या मेल और एवरडीन फीमेल से प्राप्त की गई एक संकर नस्ल है।

शंकर विधि के दौरान की अतिविशिष्ट संस्करण प्रक्रिया को भी अपनाया जाता है, जिसमें दो निकटतम प्रजातियों में संकरण की प्रक्रिया करवाई जाती है। हालांकि इस प्रक्रिया से प्राप्त होने वाली नई संतति बांझ होती है, जैसे कि घोड़े और गधे की अतिविशिष्ट संकरण से प्राप्त हुई नई नस्ल खच्चर आगे की पीढ़ी में रेप्रोडूस नहीं कर पाती है।



ये भी पढ़ें: बकरी पालन और नवजात मेमने की देखभाल में रखे यह सावधानियां (goat rearing and newborn lamb care) in Hindi
  • कृत्रिम वीर्य सेचन विधि ( Artificial sperm Implant method ) :

कृत्रिम संसाधनों और वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से नर पशु के वीर्य को प्राप्त करने के बाद उसे कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है और जरूरत पड़ने पर इस वीर्य को मादा के शरीर में डाला जाता है।

इस विधि का एक फायदा यह है कि यह बहुत ही सस्ती दर पर उपलब्ध हो जाती है और एक बार वीर्य प्राप्त करके कई मादाओं को गर्भित किया जा सकता है। साथ ही किसी उत्तम नस्ल की प्राप्ति के लिए पशुपालक को हर प्रकार के पशु चिकित्सालय में यह सुविधा आसानी से प्राप्त हो सकती है।



ये भी पढ़ें: केमिस्ट्री करने वाला किसान इंटीग्रेटेड फार्मिंग से खेत में पैदा कर रहा मोती, कमाई में कई गुना वृद्धि!

पशु प्रजनन बढ़ाने के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयास और स्कीम :

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड भारत में पशु हिंसा जैसे मुद्दों को लेकर प्रयासरत है और पिछले पांच सालों से इसी बोर्ड की मदद से पशु प्रजनन बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा कुछ नई स्कीम लांच की गई है, जो कि निम्न प्रकार है :
  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन :

दिसंबर 2014 में लांच की गई यह राष्ट्रीय गोकुल मिशन स्कीम (Rashtriya Gokul Mission - RGM) बेहतरीन प्रजनन तकनीक की मदद से स्थानीय प्रजातियों की नस्लों के विकास और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए किए गए प्रयास का एक उदाहरण है। इस मिशन के तहत भारत के कई पशु चिकित्सकों को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से पशु प्रजनन से जुड़ी नई तकनीकों के बारे में भी जानकारियां दी जा रही है। कृषि मंत्रालय के द्वारा 2016 में लांच किया गया यह पोर्टल प्रजनन करवाने की विशेष दक्षता और उच्च गुणवत्ता वाले नर मवेशी रखने वाले किसानों को सामान्य किसान से सीधे संपर्क करवाता है
  • राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock mission) :

2014 में कृषि मंत्रालय के द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम - NLM - National Livestock Mission) स्कीम के तहत पशुधन का पर्यावरण की हानि पहुंचाए बिना सस्टेनेबल विकास (Sustainable development) करने और नई वैज्ञानिक तकनीकों की मदद से प्रजनन की प्रक्रिया को जानवरों के लिए कम नुकसानदेह बनाते हुए गाय और भैंस की संख्या को बढ़ाकर अधिक उत्पादन प्राप्त करना है ।
  • राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम :

 2019 में 605 जिलों में शुरू हुआ यह कार्यक्रम अब तक 1500 से ज्यादा गांवों तक अपनी पहुंच बना चुका है और केवल 2 साल की अवधि में ही लगभग 50 लाख से ज्यादा मादा मवेशियों को उच्च गुणवत्ता वाले नर वीर्य से गर्भित किया जा चुका है। सन 2022 में इस प्रोग्राम के दूसरे फेज की शुरुआत करने की घोषणा भी की जा चुकी है।

पशु प्रजनन से किसान भाइयों को होने वाले फायदे :

पिछले कुछ सालों से पशु विज्ञान में हुए नए अनुसंधान की मदद से पशु प्रजनन में आयी दक्षता किसान भाइयों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है।


ये भी पढ़ें: गो-पालकों के लिए अच्छी खबर, देसी गाय खरीदने पर इस राज्य में मिलेंगे 25000 रुपए
बेहतरीन पशु प्रजनन की प्रक्रिया किसान भाइयों को कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाले पशुओं की उपलब्धता करवाने के साथ ही, इस तरह तैयार पशु कई पशुजन्य रोगों (Zoonotic Diseases) के खिलाफ बेहतरीन प्रतिरोधक क्षमता भी दिखा पाते है, जैसे कि हाल ही में केन्या में प्रजनन प्रक्रिया से तैयार की गई 'गाला बकरी', पशुओं में होने वाले खुरपका और मुंहपका रोगों के खिलाफ बेहतरीन प्रतिरोधक क्षमता दिखाती है और बकरी की यह नस्ल इन रोगों से ग्रसित नहीं होती। आशा करते हैं कि पशुपालन में सक्रिय हमारे किसान भाइयों को Merikheti.com की तरफ से पशु प्रजनन से जुड़ी संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी और आने वाले समय में आप भी ऊपर बताई गई जानकारी का सही फायदा उठाकर सरकारी स्कीमों की मदद से एक बेहतरीन नस्ल वाली मवेशी का पालन कर उत्पादन बढ़ाने के साथ ही अधिक मुनाफा भी कमा पाएंगे।
ब्रीडिंग फार्म खोलकर पशुपालक हो रहे हैं मालामाल, जाने कैसे कर सकते हैं आप यह बिजनेस

ब्रीडिंग फार्म खोलकर पशुपालक हो रहे हैं मालामाल, जाने कैसे कर सकते हैं आप यह बिजनेस

भारत में किसान काफी पहले से खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते रहे हैं। पशु पालन करते हुए किसान अलग-अलग तरह से आमदनी कमा सकते हैं। 

आजकल दूध डेयरी प्रोडक्ट की डिमांड काफी ज्यादा बड़ी है। इस बढ़ती हुई डिमांड के कारण ही पुराने किसान और बहुत से नए लोग भी डेयरी फार्मिंग (Dairy farming) के बिजनेस में बहुत ज्यादा रुचि ले रहे हैं। 

इसके अलावा जो लोग पहले से इस बिजनेस में लगे हुए हैं, वह सभी भी बढ़-चढ़कर अपने बिजनेस को फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। दूध-डेयरी उत्पादों की साल भर डिमांड रहती है, इसलिए यह बिजनेस फायदे का सौदा साबित हो रहा है। 

आने वाले समय में दूध और डेयरी उत्पादों की ज्यादा खपत का अनुमान है। ऐसे में यदि आप डेयरी फार्मिंग कर रहे हैं, तो साथ में एक ब्रीडिंग फार्म भी खोल सकते हैं, जिसके लिए सरकार आर्थिक मदद भी देती है।

क्यों जरूरी है पशुओं की ब्रीडिंग

इस फील्ड से जुड़े हुए एक्सपर्ट से बात करने पर पता चलता है, कि पशुओं की ग्रेडिंग करने का सबसे मुख्य उद्देश्य उनके उत्पादन में वृद्धि करना है। 

इसके अलावा इस बात पर खास ध्यान देने की जरूरत है, कि आप जो भी उत्पादन कर रहे हैं उसमें गुणवत्ता का खास ख्याल रखा जाए। इस तकनीक के जरिए आप विलुप्त मवेशियों की प्रजातियों को भी पुनर्जीवित कर सकते हैं और ऐसा किया भी जा रहा है। 

कई संस्थाएं गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी, सूअर और बत्तख आदि पशुओं की देसी और पुरानी नस्लों का कृत्रिम गर्भाधान करवाके उनका संरक्षण और संवर्धन कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें: पशु प्रजनन की आधुनिक तकनीक (Modern Animal Breeding Technology in Hindi)

ब्रीडिंग फार्म क्या है?

हमेशा से ही हमारे देश में दूध की डिमांड बहुत ज्यादा रही है, जिसके चलते देश में दूध का उत्पादन बढ़ाने को लेकर भी कोशिशें की जा रही हैं। 

बहुत से पशुपालक अच्छी नस्ल के पशुओं को खरीदकर अपने डेयरी फार्म बिजनेस को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। 

इस तरह के डेरी फॉर्म में पशुपालकों का सबसे पहला उद्देश्य दूध उत्पादन होता है। इसलिए अगर उन्हें पशुओं की नस्ल में कुछ कमी दिखती है, तो वह उन्हें बदलने से झिझकते नहीं है। 

ये भी देखें: गाय-भैंस की देशी नस्लों का संरक्षण करने वालों को मिलेगा 5 लाख का ईनाम, ऐसे करें आवेदन 

अगर डेयरी फार्म की बात की जाए तो यहां पर केवल इस बात पर ध्यान दिया जाता है, कि दूध की सप्लाई लगातार बनी रहे। लेकिन ब्रीडिंग फार्म में अच्छी गुणवत्ता के पशुओं की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया जाता है। 

इसमें अच्छी नस्ल को प्रमोट करते हुए ब्रीडिंग के जरिए पशुओं की संख्या बढ़ाई जाती है। यहां पर डेयरी फार्म बिजनेस वालों के पास एक फायदा है, कि अगर उनके पास पहले से अच्छी नस्ल के पशु मौजूद हैं। 

तब वह उन्हीं के जरिए ब्रीडिंग फार्म खोल सकते हैं और अच्छी गुणवत्ता वाले पशुओं की संख्या बढ़ा सकते हैं। अब यदि डेयरी फार्म में पशुपालकों के पास पहले से ही अच्छी नस्ल है, तो ब्रीडिंग फार्म के जरिए पशुओं की संख्या बढ़ा सकते हैं।

पशु विशेषज्ञ, डॉ. रोहित गुप्ता बताते हैं, कि 'ब्रीडिंग फार्म में पशुओं का मल्टीप्लीकेशन किया जाता है। यहां अच्छे जीन को प्रोपगेट किया जाता है, ताकि अच्छे दूध देने वाले पशु की संख्या बढ़ाई जा सके। 

गुड क्वालिटी एनिमल को प्रमोशन मिले। ब्रीडिंग फार्म में हर एक पशु के बारे में पूरी तरह से रिकॉर्ड रखे जाते हैं और साथ ही उनकी हिस्ट्री भी मेंटेन की जाती है। जिसमें पशु की मां और सिबलिंग की सेहत, दूध की मात्रा और प्रजनन क्षमता के बारे में भी लिखा होता है। 

जिन पशुओं का रिकॉर्ड अच्छा रहता है, उन्हीं की ब्रीडिंग होती है और उनसे पैदा होने वाले नौनिहाल डेयरी फार्म्स का फ्यूचर (Future) बनते हैं। यदि आप डेयरी फार्म के साथ ब्रीडिंग का काम भी कर रहे हैं, ज्यादा जगह की आवश्यकता नहीं होगी। 

इस मामले में कृषि विज्ञान केंद्र, जालंधर के पशु विशेषज्ञ डॉ. रोहित गुप्ता बताते हैं, कि एक 'ब्रीड मल्टीप्लिकेशन फार्म' में पशुओं के खाने, पीने से लेकर बीमारी, घूमने-फिरने का ध्यान रखकर कंफर्टेबल वातावरण दिया जाता है। 

जिसे वैज्ञानिक विधि से पशुपालन भी कहते हैं। अगर आप एक बिल्डिंग फॉर्म शुरू करना चाहते हैं, तो आप इसे 20 पशुओं के साथ आसानी से शुरू कर सकते हैं। 

यदि आप डेयरी फार्मिंग कर रहे हैं, तो अपनी अच्छी नस्लों की हिस्ट्री का रिकॉर्ड रखते हुए ब्रीडिंग फार्म भी खोल सकते हैं।

मादा पशु हैं डेयरी-ब्रीडिंग फार्म का भविष्य

देश में हमेशा से ही अच्छा दूध देने वाले पशुओं की नस्ल की मांग रही है। पशु विशेषज्ञ डॉ. रोहित गुप्ता बताते हैं कि एक मादा मवेशी ही गर्भधारण करती है और दूध देती है। 

इसलिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत सेक्स सॉर्टेट सीमेन को प्रमोट किया जा रहा है। जिससे मादा पशु के पैदा होने की संभावना 90 से 95 फीसदी तक होती है। इस स्कीम के तहत इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) के तहत अच्छी गुणवत्ता के पशु पैदा किए जा रहे हैं।

अच्छे ब्रीडिंग फार्म का रजिस्ट्रेशन जरूरी

इस बिज़नेस में धोखाधड़ी की संभावनाएं बहुत ज्यादा है। बहुत से लोग अच्छी नस्ल का पशु बोलकर ऐसे पशु बेच देते हैं, जिनकी सेहत और प्रजनन क्षमता इतनी अच्छी नहीं होती है। आपको उनसे ना तो अच्छी नस्ल के पशु मिल पाते हैं और ना ही अच्छा दूध उत्पादन ही हो पाता है। 

ये भी देखें: पशु संबंधित इस व्यवसाय से आप मोटा मुनाफा कमा सकते हैं 

आप चाहते हैं, कि आपका ब्रीडिंग फार्म अच्छी तरह चलता रहे। साथ ही, अच्छी क्षमता वाले उन्नत नस्ल के पशुओं को दूसरे पशुपालक भी पसंद करके बेझिझक खरीद लें। 

तो रजिस्ट्रार कॉर्पोरेटिव सोसाइटी से रजिस्टर करवाएं और पशुपालन विभाग से एक्रेडेशन लें। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सरकार की तरफ से तमाम योजनाओं का लाभ ले पाएंगे। 

सरकारी योजनाओं से सब्सिडी मिल पाएगी और पशुपालक को भी बिजनेस और ग्राहक को पशु खरीदने पर सिक्योरिटी रहेगी।

क्या है कमाई की संभावनाएं

इस व्यवसाय में आपको फायदा तभी होगा जब आप अच्छी नस्ल के पशुओं को रखेंगे और पशुओं में यह क्वालिटी बनाए रखेंगे। इसके अलावा जरूरी है, कि आप अपने पशुओं से जुड़े हुए सभी तरह के रिकॉर्ड अच्छी तरह से संभाल कर रखें।

यदि मुनाफा कमाने का सोच रहे हैं, तो 3 से 5 साल का समय लग सकता है। एक बार ब्रीडिंग फार्म जम जाए तो हर साल 10 दुधारु पशुओं की बिक्री कर सकते हैं।

ब्रीडिंग फार्म के लिए आर्थिक मदद

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कुछ दिन पहले ही केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री संजीव बालियान ने जानकारी दी कि ब्रीडिंग फार्म बिजनेस के लिए सरकार 50% सब्सिडी देने की योजना बना रही है। 

 यदि आप गाय, भैंस, बकरी, सूअर और मुर्गी के ब्रीडिंग फार्म पर 4 करोड़, 1 करोड़, 60 लाख या 50 लाख खर्च करते हैं। तो राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना का लाभ लेकर 50% अनुदान हासिल कर सकते हैं।

कहां से मिलेगी जानकारी

सरकार ने हर एक जिले में जगह-जगह पर पशुपालन विभाग या फिर डेयरी विभाग के कार्यालय खोले हैं। आप अपने नजदीकी पशु पालन विभाग में जाकर इस बिजनेस से जुड़ी हुई सारी जानकारी ले सकते हैं। 

वहां मौजूद वेटनरी डॉक्टर आपको तकनीकी सहयोग भी करेंगे। यहां पर आपको सरकार की तरफ से दी गई सभी सुविधाओं के बारे में पूरी तरह से जानकारी देने के लिए पशुपालन अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। 

अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से आप ब्रीडिंग फार्म खोलने के लिए ट्रेनिंग और अन्य तकनीकी जानकारियां भी हासिल कर सकते हैं। यदि सही जानकारी के साथ ब्रीडिंग फार्म चालू करेंगे तो निश्चित ही मुनाफा होगा।

भारतीय नस्लों ने विदेश में बढ़ाया दूध

रिपोर्ट के मुताबिक बहुत सी ऐसी देसी गाय की नस्ल हैं जो भारतीय है, लेकिन उन्होंने विदेशों में भी दूध में उत्पादन बढ़ा दिया है। 

पशु विशेषज्ञ डॉ. रोहित गुप्ता बताते हैं, कि ब्राजील ने भारत की गिर नस्ल (गुजरात) की गाय और ऑस्ट्रेलिया ने साहीवाल नस्ल (पंजाब) की गाय की सलेक्टिव ब्रीडिंग के जरिए दूध का उत्पादन बढ़ा लिया है। 

ये भी देखें: बिना गाय और भैंस पालें शुरू करें अपना डेयरी सेंटर 

1970 के दशक से ही हम वाइट रिवोल्यूशन का हिस्सा रहे हैं और बहुत सी विदेशी नस्लों के साथ हमने अपने देसी ब्रीड का क्रॉस ब्रीडिंग किया है। जिससे पशुओं की नस्लों में काफी अच्छा सुधार आया है। 

आज इस बात को लगभग 50 साल बीत गए हैं और हमने काफी पशुओं को क्रॉस ब्रीड करते हुए चेंज कर लिया है। इसके अलावा बहुत सी रिसर्च में अब यह भी पता चल रहा है, कि भारत की देसी नस्ल में भी दूध में ज्यादा पोषण है और उसकी गुणवत्ता भी ज्यादा अच्छी है। 

इसी रिचार्ज के चलते अब राष्ट्रीय गोकुल मिशन चलाया जा रहा है, जिसमें देसी नस्ल के पशुओं को ज्यादा से ज्यादा प्रमोट किया जा रहा है। इस तरह से आप पूरी जानकारी लेते हुए यह बिजनेस आसानी से शुरू कर सकते हैं और अगले 3 से 5 साल में इस से मुनाफा कमाते हुए अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।